000 -LEADER |
fixed length control field |
03040nam a22001937a 4500 |
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER |
control field |
OSt |
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION |
control field |
20200717103800.0 |
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION |
fixed length control field |
200717b ||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER |
International Standard Book Number |
978-81-267-0480-4 |
028 ## - PUBLISHER NUMBER |
Source |
Donated Book |
040 ## - CATALOGING SOURCE |
Original cataloging agency |
BSDU |
Language of cataloging |
Hindi |
Transcribing agency |
BSDU |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER |
Classification number |
891.43371 |
Item number |
REN |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME |
Personal name |
Renu, Phanisvaranatha |
245 ## - TITLE STATEMENT |
Title |
Maila Anchal |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. |
Place of publication, distribution, etc. |
New Delhi |
Name of publisher, distributor, etc. |
Rajkamal Prakashan |
Date of publication, distribution, etc. |
2018 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION |
Extent |
353 |
500 ## - GENERAL NOTE |
General note |
मैला आँचल हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं भी घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है। मैला आँचल का कथानायक एक युवा डॉक्टर है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक पिछड़े गाँव को अपने कार्य-क्षेत्र के रूप में चुनता है, तथा इसी क्र म में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दु:ख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ-साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण-चक्र में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है। कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तरकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषा और शैली का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी। ग्रामीण अंचल की ध्वनियों और धूसर लैंडस्केप्स से सम्पन्न यह उपन्यास हिन्दी कथा-जगत में पिछले कई दशकों से एक क्लासिक रचना के रूप में स्थापित है। |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) |
Source of classification or shelving scheme |
|
Koha item type |
Donated Books |