Sakshi Bhava
By: Modi, Narendra.
Material type: BookPublisher: New Delhi Prabhat Prakashan 2015Description: 98.ISBN: 978-93-5186-563-6.Subject(s): Hindi LiteratureDDC classification: 891.471Item type | Current location | Call number | Status | Date due | Barcode |
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891.433 PRE Godaan (Hindi) | 891.43371 REN Maila Anchal | 891.443 4 CHA Anandamath (Hindi) | 891.471 MOD Sakshi Bhava | 891.5511 YOG Wine of the Mystic: The Rubaiyat of Omar Khayyam: A spiritual interpretation | 909 HAR Sapiens | 909 HAR Sapiens |
उज्ज्वल भविष्य का प्रकाश-पुंज दिखाई देता है।
यहाँ तप-तपस्या जैसे शब्दों का उपयोग नहीं है।
यहाँ किसी देवात्मा का अधिष्ठान खड़ा नहीं किया गया है
यहाँ तो उसके हृदय में विवेकानंद के कथनानुसार
दरिद्रनारायणों की कामना ही झंकृत की गई है
यह सत् शक्ति का मिलन है।
मेरे नए उत्तरदायित्व के विषय में
बाह्य वातावरण में तूफान
लगभम थम गया है।
सबका आश्चर्य, प्रश्न आदि अब पूर्णता की ओर है
अब अपेक्षाओं का प्रारंभ होगा।
अपेक्षाओं की व्यापकता और तीव्रता खूब होगी
तब मेरे नवजीवन की रचना ही अभी तो शेष है।
मुझे किसी को मापना नहीं है
मुझे अपनी श्रेष्ठता सिद्ध नहीं करनी है।
मुझे तो नीर-क्षीर के विवेक को ही पाना है।
मेरी समर्पण-यात्रा के लिए यह सब जरूरी है।
इसीलिए इस शक्ति की उपासना का केंद्र
स्व का सुख नहीं बनाना है।
माँ...तू ही मुझे शक्ति दे—जिससे मैं
किसी के भी साथ अन्याय न कर बैठूँ, परंतु
मुझे अन्याय सहन करने की शक्ति प्रदान कर।
—इसी पुस्तक से
श्री नरेंद्र मोदी केवल एक राजनीतिक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि एक कविहृदय साहित्यकार भी हैं। यह ग्रंथ डायरी रूप में जगज्जननी माँ से संवाद रूप में व्यक्त उनके मनोभावों का संकलन है, जिसमें उनकी अंतर्दृष्टि, संवेदना, कर्मठता, राष्ट्रदर्शन व सामाजिक सरोकार स्पष्ट झलकते हैं। हृदय को स्पंदित करनेवाले मर्मस्पर्शी विचारों का अनंत सोपान है यह संकलन
अनुक्रम
जीवन का अधिष्ठान — 26
सपनों का खँडहर — 30
तेरी लिखी हुई कविता — 36
माता की मूर्ति — 42
माया भरी आँखों का मिलन — 50
असीम आत्मविश्वास — 58
हृदय-मंदिर में — 64
नव-जीवन की प्रेरणा — 70
नव सर्जन का आधार — 78
पल बिंदु की धारा — 82
सर्जन और शून्याकाश — 86
एषः पन्थाः — 90
चीरते हृदय की वेदना — 96
वेदना अनाथ नहीं होती है — 98
अविरत प्रयत्न — 102
भोग वृत्ति की पूर्ति — 106
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