000 | 03557nam a22002057a 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c2612 _d2612 |
||
003 | OSt | ||
005 | 20200715104449.0 | ||
008 | 200715b ||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a978-93-89647-11-2 | ||
028 | _bDonated Book | ||
040 |
_aBSDU _bHindi _cBSDU |
||
082 |
_a070.5092 _bPRA |
||
100 | _aPradhan, Bharti S. | ||
245 | _aRamesh Chandra Agarwal: The main who created the Dainik Bhaskar Group | ||
260 |
_aNew Delhi _bManjul Publishing House Pvt. Ltd. _c2019 |
||
300 | _a241 | ||
500 | _aभारत के नंबर एक समाचारपत्र के साम्राज्य का निर्माण करना किसी वास्तुकार की योजना के सामान ही था - रमेश चंद अग्रवाल ने संस्करण दर संस्करण, शहर दर शहर, राज्य दर राज्य अपनी बुनियाद रखते हुए, न हो कर शक्तिशाली संस्थानों के गढ़ ध्वस्त किए। उन्होंने साहस का यह गुण अपने पिता से विरासत में पाया। रमेश चंद ने जोखिम उठाने की अद्भुत क्षमता और अज्ञात के अन्वेषण की जिज्ञासा के साथ इस साहस का मेल करते हुए, उन सभी प्रतिद्वंदियों को कड़ा प्रत्युत्तर दिया, जो अपने कार्यक्षेत्र में पहली बार पदार्पण करने वाले व्यक्ति का उपहास कर रहे थे। 35 वर्षों के अल्प समय में उन्होंने पारिवारिक स्वामित्व वाले छोटे-से अख़बार को पाठकों की पहली पसंद बना दिया, जिसे 12 राज्यों में 64 संस्करणों के माध्यम से पढ़ा जा रहा था। इसके साथ ही उन्होंने 5 000 करोड़ रूपए के टर्नओवर का बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया। परंतु हिंदी अख़बार जगत में लाई गई क्रांति को उनकी सबसे बड़ी व्यावसायिक उपलब्धि कहा जा सकता है। उन्होंने हिंदी के विशुद्ध साहित्यक रूप को अपने पाठकों के लिए लोकप्रिय व बोलचाल वाले शब्दों से युक्त भाषा में बदल दिया, जिससे हिंदी के साथ संबन्ध बनाना और भी सरल हो गया। उन्होंने हिंदी समाचारपत्र को अभूतपूर्व सम्मान दिया और आजीवन एक चैम्पियन की तरह मैदान में डटे रहे। यह एक चैम्पियन की गाथा है।. | ||
650 | _aBiography | ||
942 |
_2ddc _cDB |